राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ – क्यों?
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार कांग्रेस के एक सदस्य थे , जिन्होंने माना कि भारत की स्वतंत्रता की समस्या के प्रति कांग्रेस का दृष्टिकोण मूलतः अपर्याप्त था , यदि पूरी तरह से त्रुटिपूर्ण नहीं था। सामरिक व्यवस्थाएँ कुछ प्रगति ला सकती हैं। ये राष्ट्रीय उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हो सकती हैं परन्तु समझौतों की प्रकृति के कारण ये राष्ट्रीय उद्देश्य को नुकसान भी पहुँचा सकती हैं। लेकिन रणनीतियाँ अपने आप में कोई स्थायी परिणाम नहीं देतीं। एक सशक्त सामाजिक आंदोलन का लक्ष्य सतही प्रगति के बजाय मूल सिद्धांतों पर होना चाहिए। राष्ट्र अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक आधारों के कारण अस्तित्व में है , न कि उन सामरिक व्यवस्थाओं के कारण जिनका उद्देश्य तत्काल प्रभाव उत्पन्न करना है। ऐसी व्यवस्थाएँ अनिवार्य रूप से अस्थिर होंगी। डॉ. हेडगेवार ने हिंदुओं के बीच क्षेत्रीय , भाषाई , ऐतिहासिक और जातिगत मतभेदों को दूर करते हुए पूरे भारत में हिंदुओं को एकजुट करने के विशाल कार्य का संकल्प लिया। उनके निकटस्थ लोगों में से कई लोगों ने इस विचार का उपहास किया और इसे तुरंत खारिज कर दिया। उन्होंने 1925 की विजयादशमी के अवसर पर...