Posts

Narrative Building

*बनिया और कुम्हार*  एक गाँव में एक बनिया और एक कुम्हार रहते थे।  कुम्हार ने बनिये से कहा, मैं तो बर्तन बनाता हूँ, पर गरीब हूँ... तुम्हारी कौन सी रुपये बनाने की मशीन है जो तुम इतने अमीर हो? बनिये ने कहा - तुम भी अपने चाक पर मिट्टी से रुपये बना सकते हो. कुम्हार बोला - मिट्टी से मिट्टी के रुपये ही बनेंगे ना, सचमुच के तो नहीं बनेंगे. बनिये ने कहा - तुम ऐसा करो, अपने चाक पर 1000 मिट्टी के रुपये बनाओ,  बदले में मैं उसे सचमुच के रुपयों में बदल कर दिखाऊँगा। कुम्हार ज्यादा बहस के मूड में नहीं था...बात टालने के लिए हाँ कह दी। महीने भर बाद कुम्हार से बनिये ने फिर पूछा - क्या हुआ ? तुम पैसे देने वाले थे... कुम्हार ने कहा - समय नहीं मिला... थोड़ा काम ज्यादा था, त्योहार बीत जाने दो...  बनाउँगा...फिर महीने भर बाद चार लोगों के बीच में बनिये ने कुम्हार को फिर टोका - क्या हुआ ? तुमने हज़ार रुपये नहीं  दिए...दो महीने हो गए... वहां मौजूद एक-आध लोगों को कुम्हार ने बताया की मिट्टी के रुपयों की बात है।   कुम्हार फिर टाल गया - दे दूँगा, दे दूँगा... थोड़ी फुरसत मिलने दो। अब कुम्हार जहाँ चार लोगों के बीच में मि
  How Deep State ecosystem works On 8th and 9th April, University of Michigan organized a workshop on : "Social media and society in India" For this event they invited 20-30 people from India. Who were those 20-30 people and why they were invited ? This event was organized by Joyojeet Pal He is former Microsoft analyst and current associate professor at School of Information, Michigan University (USA) This was not first workshop of Joyojeet, He already have organized four workshops and in every workshop. He invites 20-30 people from India and trains them on how to use social media for political discourse. How to measure, analyze data How to track behavior change His earlier workshops were in association with Yale University, Wharton University. Joyojeet is critical of Modi govt, Hindu nationalism. He writes columns for The Wire, Newslaundary He is admirer of George Soros and Rahul Gandhi He is connected with Dinesh Thakur.  Now list of the people invited in these workshops ar

शेषनाग और पृथ्वी

हम सनातन हिन्दूधर्मी बचपन से ही एक बात सुनते आ रहे हैं कि.... हमारी पृथ्वी शेषनाग के फन पर टिकी हुई है...  और, जब वो (शेषनाग) थोड़ा सा हिलते है, तो, भूकंप आता है..! और, अंग्रेजी स्कूलों के पढ़े तथा, हर चीज को वैज्ञानिक नजरिये से देखने वाले आज के बच्चे हमारे धर्मग्रंथ की इस बात को हँसी में उड़ा देते हैं...एवं, वामपंथियों और मलेच्छों के प्रभाव में आकर इसका मजाक उड़ाते हैं..! दरअसल, हमारी "पृथ्वी और शेषनाग वाली बात" महाभारत में इस प्रकार उल्लेखित है... "अधॊ महीं गच्छ भुजंगमॊत्तम; सवयं तवैषा विवरं परदास्यति। इमां धरां धारयता तवया हि मे; महत परियं शेषकृतं भविष्यति।।" (महाभारत आदिपर्व के आस्तिक उपपर्व के 36 वें अध्याय का श्लोक ) इसमें ही वर्णन मिलता है कि    शेषनाग को ब्रह्मा जी धरती को धारण करने को कहते हैं I और, क्रमशः आगे के श्लोक में शेषनाग जी आदेश के पालन हेतु पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लेते हैं। लेकिन इसमे लिखा है कि...  शेषनाग को हमारी पृथ्वी को धरती के "भीतर से" धारण करना है. न कि, खुद को बाहर वायुमंडल में स्थित करके पृथ्वी को अपने ऊपर धारण करना है। इस

भारतीय धर्मनिरपेक्षता- एक दिखावा

  ईशा फाउंडेशन, पीएफआई का मरकजुल हिधाया (सत्य सारिणी) और केरल का कैथोलिक चर्च केस 1: एक पिता ने शिकायत दर्ज कराई कि उसकी 42 और 39 साल की दो बेटियों को कोयंबटूर के पास ईशा फाउंडेशन परिसर में 'उनकी इच्छा के विरुद्ध बंधक बनाकर रखा जा रहा है और उन्हें भिक्षु बनने के लिए मजबूर किया जा रहा है'। महिलाएँ विधिवत अदालत में पेश होती हैं और अपने पिता के आरोप से इनकार करती हैं। फिर भी, मद्रास उच्च न्यायालय ने आध्यात्मिक केंद्र की पुलिस जांच का आदेश दिया और 150-सदस्यीय पुलिस दल ने लगभग तुरंत परिसर में दबिश दी। केस 2: केएम अशोकन और मिनी विजयन जैसे माता-पिता ने दलील दी कि उनकी बेटियाँ अखिला और अपर्णा (किशोरावस्था या 20 के दशक की शुरुआत में) पढ़ाई के दौरान लापता हो गई हैं और उन्हें जबरन पीएफआई के मरकजुल हिधाया (उर्फ 'सत्य सारिणी' - सत्य का मार्ग, एक ऐसा नाम जो भोले-भाले हिंदुओं को लुभाने के लिए रखा गया है) में रखा गया है, जो केरल के मंजेरी में नव-धर्मांतरित लोगों के लिए एक इस्लामी धार्मिक केंद्र है, कोई छापा नहीं मारा जाता है। एनआईए की जांच में यह पाया गया कि पीएफआई केंद्र के प्रचारक नव

भारत में सत्ता परिवर्तन

सोनम वांगचुक और भारत में इको टेररिज्म का आगमन। क्या आप जानते हैं कि सोनम वांगचुक और उनके गैर-लाभकारी संगठन SECMOL को उसी गुट द्वारा वित्तपोषित किया जाता है जिसने 1970 के दशक में डीप स्टेट डिपोपुलेशन और मानव विनाश एजेंडा को लागू करने के लिए वैश्विक जलवायु संकट का प्रचार शुरू किया था!! 1. गुट सोनम वांगचुक ने 1988 में लद्दाख के छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक आंदोलन (SECMOL) की स्थापना की। SEMCOL को "FUTUREEARTH NETWORKS" द्वारा वित्तपोषित किया जाता है। "FUTUREEARTH NETWORKS" के संस्थापक पॉल श्रीवास्तव अब प्रसिद्ध रॉकफेलर द्वारा स्थापित थिंक टैंक, द क्लब ऑफ रोम के सह-अध्यक्ष हैं, जिसने 1971 में अपनी रिपोर्ट "लिमिट्स ऑफ ग्रोथ" के माध्यम से जलवायु संकट और पृथ्वी की अधिक जनसंख्या का वैश्विक प्रचार शुरू किया था!! 2. जिगसॉ सोनम वांगचुक के SECMOL का दूसरा भागीदार करुणा है। करुणा फाउंडेशन का करुणा यूएसए चैप्टर सीधे फोर्ड फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है!! करुणा यूएसए की निदेशक इवोन चेन, जो करुणा फाउंडेशन की अमेरिकी सहायक कंपनी है, फोर्ड फाउंडेशन का बिल्ड प्रोग्राम चलाती है

Unknown Facts about Sonam Wangchuk

  Unknown Facts about Sonam Wangchuk   As per media propaganda Wangchuk is an Indian engineer, innovator, education reformist and climate activist. Movie '3 idiots' was based on him. But there are lot of things that media didn't tell.  In Three Idiots they told you that Rancho was a son of poor Gardner but in real Sonam Wangchuk comes from a very powerful and influential family. His father Sonam Wangyal was a Congress leader and Minister if J&K govt. In 1988 he started Students Educational and Cultural Movement of Ladakh, In 1995 he started project Operation new hope. His all projects were funded by Ford Foundation, Tata Trust, Dan Church aid, Karuna trust. He always received huge support from foreign orgs. Why ? In late 80s or early 90s, He met to an American lady Rebecca Norman and both got married in 1996. We don't know why this story of Rebecca Norman is completely erased by Media. They are still married or not. We don't know But after meeting Rebecca, Life

Factshala ?

 How Deep State created huge leftist media ecosystem in India A huge brainwashing factory to create leftist activist and citizen journalist is silently going on hills of Himalaya from last 20 years and people of India are not even aware of it.  Factshala is a news and media literacy program In this program, they organize training camps for people associated with media. Though they claim they train them on fight against misinformation, how to asses news but it’s actually a left brainwashing program. How ? And this is not small workshop program It’s on a huge level. So much huge that you will be shocked. They have conducted 2500 workshops till now, trained 75,000 media people and reached up to 6.5 crore. And when you will know who are people behind it you will be even more shocked. Factshala is organized by- Internews DataLeads Google Sambhavna Institute of Public Policy Internews is US based media support NGO working in 100+ countries. They claim to train journalists, tackle disinformat