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Showing posts from March, 2022

मुफ्तखोरों का मनोविज्ञान

लाल झंडा पकड़े नेता ने कॉमरेडों से कहा- अगर तुम्हारे पास बीस-बीघा खेत है तो क्या तुम उसका आधा दस बीघा गरीबों को दे दोगे ?  सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे ! नेता ने फिर कहा- अगर तुम्हारे पास दो घर हैं तो क्या तुम एक घर गरीबों को दे दोगे ? सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे ! नेता ने फिर कहा- अगर तुम्हारे पास दो कार हैं तो क्या तुम एक कार ग़रीब को दे दोगे ? सारे कामरेड एक साथ बोले- हाँ दे देंगे ! नेता ने फिर पूछा- अगर तुम्हारे पास बीड़ी का बंडल हैं तो क्या उनमें से दो बीड़ी तुम अपने साथी को दे दोगे ? सारे कामरेड एक साथ बोले- नहीं, बीड़ी तो बिल्कुल नहीं देंगे ! नेता बहुत चकित हुए और उन्होंने पूछा- तुम अपना खेत दे दोगे गरीबों को, घर दे दोगे, कार दे दोगे मगर अपनी बीड़ी क्यों नहीं दोगे ? इतना बड़ा-बड़ा बलिदान कर सकते हो और बीड़ी पर अटक गए ? आख़िर क्यों ? सारे कॉमरेड बोले- ऐसा है कि हमारे पास न तो खेत हैं, न घर है और ना ही कार है ! हमारे पास सिर्फ बीड़ी बंडल हैं !  यही कम्युनिज्म का मूल स्वभाव होता है ! कम्युनिस्ट आपको हर वो चीज देने का वादा करता है जो उसके पास होती नहीं

वियतनाम और छत्रपति शिवाजी महाराज

  20 साल (1955-1975) तक चले भयानक युद्ध के बाद वियतनाम ने अमेरिका को हरा दिया। जीत के बाद एक पत्रकार ने वियतनाम के राष्ट्रपति से पूछा, ''जीत कैसे हासिल हुई? वियतनाम ने अमेरिका जैसे देश को कैसे हराया?!!!'' राष्ट्रपति ने उत्तर दिया, "वास्तव में, अमेरिका जैसे देश को हराना असंभव था। फिर भी, एक महान योद्धा राजा की कहानी ने मुझे ऐसा करने के लिए आत्मविश्वास और वीरता दी। इस प्रेरणा से युद्ध की रणनीति की योजना बनाई गई और हमने इसे निष्पादित किया। हम जीत गए! !!" "वह महान राजा कौन था?" राष्ट्रपति ने सम्मान के साथ कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज* के अलावा कोई नहीं, जिन्होंने अकेले ही मुग़ल इस्लामी आतंकवादियों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी!! अगर वियतनाम में उनके जैसा राजा होता तो हम दुनिया पर राज करते !!" कुछ साल बाद राष्ट्रपति का निधन हो गया। उन्होंने अपने विश्राम स्थल पर निम्नलिखित शब्दों को तराशने को कहा था। "शिवाजी महाराज के एक विनम्र सैनिक का विश्राम स्थल।" इन शब्दों को हम आज भी राष्ट्रपति के समाधि स्थल पर देख सकते हैं। कुछ वर्षों के बाद, वि

Letter of Governor Jagmohan to Shri Rajiv Gandhi

 This letter was written by the then J&K Governor Jagmohan to Ex-PM Rajiv Gandhi. It is quite a long one, but it will help you to understand the crux of the situation. By Jagmohan April 21, 1990 Dear Shri Rajiv Gandhi, You have virtually forced me to write this open letter to you. For, all along, I have Rajiv Gandhi persistently tried to keep myself away from party politics and to use whatever little talent and energy I might have to do some creative and constructive work, as was done recently in regard to the management and improvement of Mata Vaishno Devi shrine complex and to help in bringing about a sort of cultural renaissance without which our fast decaying institutions cannot be nursed back to health. At the moment, the nobler purposes of these institutions, be they in the sphere of executive, legislature or judiciary etc. have been sapped and the soul of justice and truth sucked out of them by the politics of expediency. You and your friends like Dr. Farooq Abdullah are, ho