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Showing posts from April, 2024

महाभारत काल में भारतीयों का विदेशों से संपर्क

महाभारत  काल में भारतीयों का विदेशों से संपर्क, प्रमाण जानकर चौंक जाएंगे। युद्ध तिथि: महाभारत का युद्ध और महाभारत ग्रंथ की रचना का काल अलग अलग रहा है। इससे भ्रम की स्थिति उत्पन्न होने की जरूरत नहीं। यह सभी और से स्थापित सत्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व को हुआ हुआ। भारतीय खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलियुग का आरम्भ कृष्ण के निधन के 35 वर्ष पश्चात हुआ। महाभारत काल वह काल है जब सिंधुघाटी की सभ्यता अपने चरम पर थी। विद्वानों का मानना है कि महाभारत में वर्णित सूर्य और चंद्रग्रहण के अध्ययन से पता चलता है कि युद्ध 31वीं सदी ईसा पूर्व हुआ था लेकिन ग्रंथ का रचना काल भिन्न भिन्न काल में गढ़ा गया। प्रारंभ में इसमें 60 हजार श्लोक थे जो बाद में अन्य स्रोतों के आधार पर बढ़ गए। इतिहासकार डी.एस त्रिवेदी ने विभिन्न ऐतिहासिक एवं ज्योतिष संबंधी आधारों पर बल देते हुए युद्ध का समय 3137 ईसा पूर्व निश्चित किया है। ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ

समाजवाद क्यों विफल है ?

 “कैसे एक शिक्षक पूरी कक्षा को फेल कर देता है” एक स्थानीय कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर ने पहले कभी किसी छात्र को फेल नहीं किया था, लेकिन फिर एक बार पूरी कक्षा को फेल कर दिया। क्यों? कक्षा ने जोर देकर कहा था कि समाजवाद सबसे अच्छा है और पूंजीवाद का इससे कोई मुकाबला नहीं है। समाजवाद की ऐसी सुंदर विचारधारा कि कोई भी गरीब नहीं होगा और कोई भी अमीर नहीं होगा, एक महान क्रांतिकारी व्यवस्था है । छात्र इससे बहुत प्रभावित हुए। फिर प्रोफेसर ने कहा, “ठीक है, हम इस योजना पर कक्षा में एक प्रयोग करेंगे”। तो योजना क्या थी? योजना थी....सभी ग्रेड का औसत निकाला जाएगा और सभी को एक ही ग्रेड मिलेगा, इसलिए कोई भी फेल नहीं होगा और किसी को भी A ग्रेड नहीं मिलेगा! इसलिए किसी को भी अपने ग्रेड के बारे में बुरा नहीं लगेगा। यह एक बहुत ही नया समाजवादी विचार है! है न? परिणाम अच्छा होना ही था! क्या था? पहली परीक्षा के बाद, ग्रेड का औसत निकाला गया और सभी को B ग्रेड मिला। जो छात्र कड़ी मेहनत से पढ़ते थे वे परेशान थे और जो छात्र कम पढ़ते थे वे खुश थे। लेकिन खुशी की बात यह थी कि सभी छात्रों को A ग्रेड मिला। कमज़ोर छात्

ग़ुलामी की मानसिकता से मुक्ति

क्या  आप  Henry Francis  को जानते हैं ?   कभी आपने क्या  Abide with Me  गाना  सुना है ?  घबराइए मत ,  यदि नहीं सुना है तो क्यूंकि  Henry Francis   एक  स्कॉटिश  अंग्रेज पादरी था जिसकी मृत्यु  तपेदिक रोग से हुई थी और जब वो अपनी मृत्यु शैय्या पर था तो  उसके लिए यह  प्रार्थना  Abide with Me  गाई गई थी |  कोई भी यह अपेक्षा नहीं करता की एक सामान्य भारतीय  Henry Francis  अथवा  उसकी इस प्रार्थना को याद रखेगा | भारतीय कभी भी उससे अथवा उसकी प्रार्थना से अपना जुडाव  महसूस नहीं कर  सके  लेकिन उसके इस प्रार्थना की धुन  हमेशा  से  भारत के गणतंत्र दिवस के समापन के राजकीय कार्यक्रम  Beating Retreat  में बजाई जाती रही |   यह धुन  सदैव  भारतीय सेना के बैंड   द्वारा  स्वाधीनता के बाद से बजाई जा रही थी |  पिछले ७५ वर्षों से किसी भी  सरकार  को इस गुलामी के प्रतिक को हटाने का विचार मन में नहीं आया जिसका कोई सम्बन्ध भारतीय मानस से नहीं था |  स्वाधीन भारत को ७५ वर्ष का एक लम्बा इंतजार करना पड़ा यह जानने में की  Abide with Me  का कोई भी स्थान किसी भी भारतीय  के  ह्रदय में नहीं है |  यह तो वर्तमान भारत की सरकार