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भारत के बने और भारत को बनाये!!!

  विषय हमारे सामने एक प्रश्न के रूप में उपवथित है, प्रश्न से एक नए प्रश्न का वनमााण होना थिाभाविक ही है| इस विषय को समझते हुए कुछ प्रश्न आते हैं ककयकि भारत का बनना है तो हम भारत के कैसेबनें? हमें भारत का बनना है तो िह कौन वसखाएगा कक हम भारत के कैसे बने? कहााँ से हम सीखें कक भारत के कैसे बनें? और जब भारत को बनाना है तो कैसे बनाना है? या क्या बनाना है िो कौन बतायेगा? क्या भारत पहले से नहीं है जो उसको बनाने की आिश्यकता आन पड़ी? हमेवजस भारत का बनना हैयकि िह पहले सेही हैतो किर हमेंकौन-सा भारत बनाना है? उसे कैसे बनाया जाए? क्या गारे-वमट्टी से कोई भिन वनमााण करना है या ककसी विशेष प्रकार की कालोनी बनानी है? कुछ प्रश्नों का सीधा उत्तर भी कठिन लगता है और कुछ टेढ़ेप्रश्नों का उत्तर खोजने मेंआनंि आता है इसके पीछेमनुष्य का थिाभाविक मनोविज्ञान है| प्रश्न एक अवभरुवि हैऔर उत्तर द्रविकोण | द्रविकोण से आशय है कक हम प्रश्न का उत्तर ककस सन्िभा में खोज रहे है| यकि उत्तर वजज्ञासािश खोज रहे है तो िह उत्तर कल्याणकारी होगा अन्यिा पठरणाम क्या वनकलेगा? सत्यता ककतनी होगी? ईश्वर ही जाने| इसवलए हम अपने प्रश्नों का उत