कैसे समर्थक हैं ?

 कैसे समर्थक हो ?


ठीक है, किसी घटना पर क्रोधित होना, सरकार से उम्मीद रखना, मांग करना, सवाल पूछना, सकारात्मक आलोचना करना!


लेकिन, ये इस्तीफा मांगना, इंचीटेप लेकर छाती नापना, मर्दानगी चेक करना, नकारा, नपुंसक, निकम्मा, फेल साबित करना इत्यादि ये सारे लक्षण तो विरोधियों के हैं! 


किस बात के समर्थक हो ?


समर्थक वो होता है जो हर परिस्थिति में अपने नेतृत्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है! लेकिन आप लोग तो पल पल कंधा झिटकने लगते हो! 


काहे के समर्थक हो ?


क्या समर्थक का काम अपनी ही पार्टी अपने ही नेता के विरुद्ध अपने लोगों को भड़काना होता है? उकसाना होता है? क्या समर्थकों का काम नहीं है नव युवाओं को अपनी विचारधारा से जोड़ना ?


किस चीज के समर्थक हो ?


राष्ट्रवादी विचारधारा के समर्थक हो ? राष्ट्रवादी लक्ष्य के समर्थक हो ? हिंदुत्व के समर्थक हो ? पार्टी के समर्थक हो या किसी नेता के समर्थक हो ?


अगर समर्थक हैं तो समर्थक जैसा आचरण भी कीजिए! अपने नेतृत्व पर विश्वास कीजिए! अपनी पार्टी, अपने नेतृत्व को ऊल जलूल कह के यूं अपने ही खेमे को हतोत्साहित करने का काम मत कीजिए! अपने ऊल जलूल कुतर्कों से अपने साथी समर्थकों के मन में नेतृत्व के प्रति अविश्वास का बीजारोपण मत कीजिए! यदि समर्थक हैं तो विरोधियों के सुर में सुर मत मिलाइए! 


विरोधियों की चाल को समझना क्या समर्थकों का काम नहीं ? विरोधियों की धूर्तता को अन्य समर्थकों को समझाना क्या समर्थकों का कार्य नहीं होता ?


हम एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे है! लड़ाई में सैनिक बलिदान भी होते है; लेकिन उस सैनिक के बलिदान को दिखाकर अपने ही नेतृत्व पर कीचड़ उछालने वालों को समर्थक कहेंगे ? 


नहीं... आप समर्थक नहीं है! ऐसे लोग समर्थक हो ही नहीं सकते!

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