वीर भोग्या वसुंधरा

बीआर चोपड़ा की महाभारत में एक दृश्य है, जब रात्रि के समय कुन्ती और गांधारी युद्धभूमि में शरशय्या पर पड़े भीष्म से मिलने जाती हैं। उसी क्षण दो सैनिक एक मृत सैनिक का शव उठा कर संस्कार के लिए ले जा रहे होते हैं। गांधारी उस शव को प्रणाम कर कहती हैं- "मैं नहीं जानती कि आपने पांडवों की ओर से युद्ध किया था या कौरव दल से थे, फिर भी मैं आपको प्रणाम करती हूँ क्योंकि आप इस महान राष्ट्र के सैनिक थे।" राष्ट्रवाद और कुछ नहीं, इसी भावना का नाम है।


     योद्धा पलंग पर सो कर प्रयाण नहीं करते, वे लड़ते लड़ते ही वीरगति प्राप्त करते हैं। वो संसार के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं के बीच में रथ का चक्का ले कर उतरा बालक अभिमन्यु हो, या युद्धभूमि में लड़ते लड़ते प्राण देने वाली लक्ष्मीबाई सी वीरांगना! ईश्वर बीरों को वीरगति दे कर ही सम्मानित करता है। यही उनके शौर्य का पुरस्कार होता है।


    श्राद्ध के कर्मकांड में एक विधि होती है, जहाँ मृतक के लिए बने आटे के पिंड को तोड़ कर उसके स्वर्गवासी पिता, पितामह और परपितामह के पिण्ड में मिलाया जाता है। भाव यह होता है कि अब वह व्यक्ति अपने पूर्वजों में मिल गया। राष्ट्र के लिए लड़ते लड़ते प्राण देने वाला सैनिक मृत्यु के बाद सीधे चन्द्रगुप्त,राणा,शिवा आदि में मिल जाता होगा। राम और कृष्ण में मिल जाता होगा...


     एक योद्धा की वीरगति राष्ट्र में शोक के साथ गर्व का भाव भरती है। गर्व राष्ट्र के लिए प्राणोत्सर्ग करने की अपनी महान परम्परा पर... गर्व उनकी शौर्य से भरी जीवनयात्रा पर... गर्व उनके पराक्रम पर...


     एक योद्धा सैनिक जब प्रयाण करता है तो वह जाते जाते राष्ट्र को एक साथ खड़ा कर जाता है। Gen रावत की मृत्यु के बाद शोक में डूबे राष्ट्र को देख कर समझ आता है कि संसार में सबसे अधिक आक्रमण झेलने के बाद भी भारत पूरी प्रतिष्ठा के साथ पुष्पित, पल्लवित हो रहा है तो क्यों हो रहा है। जो राष्ट्र अपने सैनिकों को इस तरह पूजता हो, वह कभी पराजित नहीं हो सकता।


     योद्धाओं की मृत्यु राष्ट्र में छिपे गद्दारों की भी पहचान कराती है। शोकाकुल समाज के किसी कोने से उठने वाले कहकहे स्पस्ट कर देते हैं उस 'आधे मोर्चे की लड़ाई' को, जिसे सामान्य दिनों में समाज देख नहीं पाता। Gen की मृत्यु पर हँसने वाले गद्दार अब स्पष्ट पहचाने जा रहे हैं, यह भी सुखद ही हैं। देश उन्हें भी याद रखेगा।


     जाओ सेनापति! राष्ट्र गर्व से तनी हुई छाती और उठे हुए मस्तक के साथ प्रणाम करता है तुम्हे! मातृभूमि अपने वीर पुत्रों को कभी नहीं भूलती...


जय हिन्द 

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