आतंक का पालक कौन

 मैं हमेशा ही कहता आया हूँ कि भारत में सबसे बड़ा आतंकवाद और अलगाववाद का पालन पोषण करने वाला संगठन अगर कोई है तो वो कांग्रेस है। 


मुझे मालूम है कि ये बात कुछ लोगो को पचेगी नही......लेकिन तथ्यों को क्या कोई झुठला सकता है? नही ना 😊


चलिये आपको आज कुछ तथ्य बताते हैं, हो सकता है आपके लिए ये बाते नई हो....अगर सही लगे तो शेयर कर सकते हैं, किसी को भी दी गयी जानकारी गलत लगे तो इंटरनेट का इस्तेमाल करे और एक एक फैक्ट को स्वयं validate कर ले।


नक्सलबाड़ी में नक्सल आंदोलन कब शुरू हुआ - 1969 में.....तब केंद्र और पश्चिम बंगाल में किसकी सरकार थी?  - दोनों जगह कांग्रेस की 


प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी केंद्र में, मुख्यमंत्री सिद्दार्थ शंकर रॉय बंगाल में थे.....हुआ ये था कि पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट सरकार बन गयी....सत्ता से बेदखल हुई कांग्रेस ने उस जमाने के छोटे स्तर के नक्सल आंदोलन को सशस्त्र आंदोलन "माओवाद" में बदला गया....


उसी नक्सल (माओवाद) को भारत के 40% इलाके में फैलाया गया....किसकी छत्रछाया में?


नक्सल (माओवाद) आंदोलन से अबतक 12000 सुरक्षाकर्मी शहीद हो चुके हैं, और अब तक लगभग 50000 आम नागरिक मौत के घाट उतार दिए गए हैं.......कौन था जिम्मेदार? पश्चिम बंगाल में अपना प्रभुत्व बनाने के लिए किसने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया? क्या पाकिस्तान के 2 टुकड़े करने वाली Iron Lady में इतनी हिम्मत नही थी कि छोटे से नक्सल ग्रुप को कंट्रोल कर सकती? 


खैर जिस Tool से राजनीतिक फायदे हो, उसे खत्म नही किया जाता।


अच्छा खालिस्तान आंदोलन कब शुरू हुआ ? 

1971 की लड़ाई में बुरी तरह हारे पाकिस्तान ने ये समझ लिया था कि भारत को परंपरागत लड़ाई में नही हरा सकते, उन्होंने thousands cut वाली थ्योरी पर करना शुरू किया, और इसके लिए पंजाब को चुना गया, अगला नम्बर कश्मीर का था।


पंजाब में अकालियों का विरोध किया गया,कांग्रेस के पास अच्छे नेता नही थे, तो एक भाड़े का नेता इम्पोर्ट किया गया.....अरे वैसे ही जैसे आज कन्हैया, हार्दिक आदि पाल रखे हैं 😊


दमदमी टकसाल से वहां के गुरु जरनैल सिंह भिंडरावाले को hire किया गया.....बाकायदा दिल्ली में संजय गांधी ने उसका इंटरव्यू लिया।


चुनाव में भिंडरावाले के प्रत्याशी को कांग्रेस ने समर्थन दिया......उसके बाद भिंडरावाले के हर गलत काम पर पर्दा किसने डाला? इतनी हत्याएं हुई लेकिन भिंडरावाले पर हाथ डालने की Iron Lady की हिम्मत नही हुई......


पंजाब में आतंकवाद कौन लाया - कांग्रेस........बाद में जब भिंडरावाले की महत्वाकांक्षाएं बढ़ने लगी और उसे पाकिस्तान से हथियार और सपोर्ट मिलने लगा, और उसने खालिस्तान बनाने का आह्वान किया, तब Iron Lady की नींद टूटी और आपरेशन ब्लू स्टार किया.....अन्यथा भिंडरावाले तो उनका Blue Eyed Boy था।


इसकी परिणीति क्या हुई? स्वयं इंदिरा गांधी की हत्या, फिर हजारो सिखों की हत्या.....और सिखों का एक बड़ा हिस्सा हमेशा के लिए भारत से दूर कर दिया गया.....कौन था जिम्मेदार?


सुदूर पूर्व में नागा आंदोलन की शुरुवात हुई 1950 में, उनकी कुछ मांगे थी, मिल बैठ कर कोई उपाय निकाला जा सकता था,  लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू थे, कहने को शांतिप्रिय थे , लेकिन नागाओं के खिलाफ सशस्र बल का उपयोग शुरू किया 1956 में नेहरू जी ने।


नागालैंड के असंतुष्ट खेमो से सब वार्ता बंद करने काम 1972 में किया iron लेडी प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने। फिर नागालैंड में खूनी लड़ाई शुरू की 1980 के प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने......वहां आर्मी को खपा दिया उन्होंने। क्या सिला मिला? हजारो सिविलियन और सैंकड़ो सैनिकों की मौत.


मिज़ोरम मे आंदोलन शुरू हुआ 1966  - प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने कभी बात करने में दिलचस्पी नही दिखायी.....बल्कि भारत के इतिहास में पहली बार हमारे ही सिविलियन्स पर एयर फोर्स से अटैक करवाया गया, 5 मार्च 1966 को.......सैकड़ो मारे गए थे।


क्या result आया? सैकड़ो सिविलियन मारे गए, फौज को भी नुकसान.....सालो साल AFSPA लगा रहा.....कम्युनिस्टों ने इस AFSPA के मुद्दे पर सालो साल पैसा लूटा और सेना को बदनाम किया।


मणिपुर ने भारत सरकार द्वारा उपेक्षा का नोटिस दिया 1964 में......उस समय प्रधानमंत्री थे शास्त्री जी......लेकिन उनके पास इतना समय ही नही रह की कुछ करते, उससे पहले उनकी संदिग्ध मृत्यु हो गयी। मणिपुर में सशस्त्र आंदोलन की शुरुवात 1972 में हुई......आयरन लेडी प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी द्वारा। रिजल्ट यही आया कि वहां भी दूरियां बढ़ी, जो काम इत्मीनान से हो सकता था, उसे जानबूझ कर बिगाड़ा गया, ताकि सत्ता कायम रहे। असम में बोडोलैंड आंदोलन की शुरुवात हुई प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के शासनकाल में। अलग बोडोलैंड की मांग हुई 1980 में.....बोडोलैंड का खुनी आंदोलन में बदलना - 1986 प्रधानमंत्री राजीव गाँधी.....असम एकॉर्ड बनाया गया लेकिन उस पर कभी अमल नही किया गया.....NRC का वादा किया गया लेकिन कभी नही बनाया गया। घुसपैठियों को दामाद बना कर रखा, लोकल्स का दमन किया......मिला क्या? उल्फा जैसे आतंकवादी संगठन.....जिनकी फंडिंग भी कांग्रेस ही करती थी......और बदले में हजारो सिविलियन और फौजियों की लाशें।


पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड आंदोलन - केंद्र में कांग्रेस, राज्य में कम्युनिष्ट.....बस बन गया बैलेंस....मिल गया सत्ता और कमाई करने का साधन......मरने के लिए सिविलियन और फौजी है ही।


तमिल - श्री लंका विवाद.....LTTE के Chief प्रभाकरण को भारत में ट्रेनिंग किसने दिलवाई? Iron lady ने.


बाद में जब कुछ misunderstanding हुई, तनाव हो गया था तो प्रभाकरण को दिल्ली किसने मिलने बुलाया? तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने......कभी सोचा आपने कि किसी आतंकवादी संगठन से हमारा प्रधानमंत्री क्यों मिल रहा था?


अगर इमरान खान आज हाफिज सईद, मसूद अजहर, या सलाहुद्दीन से मिले तो आपको कैसा लगेगा??


जब डबल गेम खेला गया तो प्रभाकरण ने राजीव गांधी को मरवा दिया.....दुनिया कहती है कि राजीव गांधी शहीद हुए.....मैं कहता हूँ वो अपने और अपनी मां के खतरनाक खेल की भेंट चढ़ गए।


पिछले 70 सालों में आप किसी भी समस्या को देख लीजिए....उसके बारे में स्वतंत्र sources पर पढिये, जानकारी जुटाईये.... आपको उसके पीछे कांग्रेस का 'हाथ' जरूर दिखेगा।


कश्मीर विवाद,कावेरी जल विवाद, महाराष्ट्र में भाषाई विवाद, पंजाब - हरियाणा के बीच चंडीगढ़ विवाद से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में ठाकुर - ब्राह्मण विवाद, हिन्दू का आपसी जातीय विवाद....हर विवाद और असंतोष का कारण कांग्रेस ही मिलेगी.....तेलंगाना और आंध्र का विवाद, गुजरात मे पटेल आंदोलन, हरियाणा में जाट और non-जाट के बीच का तनाव....सबके बारे में पढिये....आपको हर विवाद में कांग्रेस जड़ में मिलेगी और विवाद से पैसा बनाते परजीवी कम्युनिष्ट ही मिलेंगे।


आज के समय सभी अलगाववादी कम्युनिष्ट - माओवादी - खालिस्तान का समर्थक सारे कम्युनिष्ट पार्टी, कांग्रेस, केजरीवाल, ममता, नायडू,बुआ बबुआ आदि....आपस में सबका समर्थन के लिए चुनावी समझौता किये बैठे हैं। इनका सहायक है हमारा मीडिया और बॉलीवुड। 


ये एक वृहद टुकड़े टुकड़े गैंग है,जिसे देश के टुकड़े करने में महारत हासिल है...70 साल का अनुभव भी है.....क्या करना है, कैसे करना है.....कैसे नैरेटिव बनाना है....कब बोलना है और कब चुप रहना है....इन्हें सब मालूम है।


इनसे कैसे लड़ेंगे आप? आपके पास बस 2 हथियार हैं......पहला है 'जानकारी'......जानकारी लीजिये और लोगो को भी जागृत कीजिये.......दूसरा है 'मतदान'......ये वो हथियार है जिससे आप इस टुकड़े टुकड़े गैंग का सर्वनाश कर सकते हैं.......मतदान कीजिये......गर्मी हो, सर्दी हो बरसात हो...घर से निकलिए और मतदान कीजिये....ये आपकी जिम्मेदारी है, देश को सुरक्षित हाथों में रखने की।

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