जरासंध का वध

 महाभारत में कंस वध के पश्चात जब जरासंध बार बार श्रीकृष्ण पर हमला कर रहा था तो... श्रीकृष्ण बार बार उसकी पूरी सेना कासफाया कर देते थे लेकिन जरासंध को जीवित छोड़ देते थे.


कारण पूछने पर श्रीकृष्ण ने बताया कि... मैं जरासंध को हर बार जीवित इसीलिए छोड़ देता हूँ क्योंकिजरासंध को मारने के बादउसकी जैसी कुत्सित बुद्धि वाले सारे स्लीपर सेल अंडरग्राउंड हो जाएंगे और फिर उन्हें खोज पाना बेहद मुश्किल होगा...


औरउसके बाद तो हम जान ही नहीं पाएंगे कि... आखिरऐसे लोग कहाँ कहाँ मौजूद है.


इसीलिएमैं बार-बार जरासंध को जीवित छोड़ कर अपना काम उसे सौंप देता हूँ ताकि वो बार बार अपने स्लीपर सेल को एक्टिव करेऔर मैं उनके स्लीपर सेल को चुन चुन के खत्म कर दूँ ... 


इस तरह मैं ऐसे लोगों का एकमुश्त रूप से सफाया कर पाता हूँ.


अब आप महाभारत के उस घटना और अभी के परिदृश्य को मिलाकर देखें तो आपको सबकुछ समझ  जाएगा.


जब जरासंध ने शाहीन बाग में धरना प्रायोजित किया और दिल्ली में दंगे करवाये उसी समय से वो श्रीकृष्ण के राडार पर  गया.


उसके बारे में तथ्य और सबूत जुटने शुरू हुए कि ये आखिर है क्या ???


इसके मेंबर कितने हैंपैसे कहाँ से आते हैं , इसके नेटवर्क कहाँ कहाँ तक हैं... आदि आदि.


उधर जरासंध अपनी ताकत में मस्त था कि.... हम तो अजेय हैं क्योंकि हमको राक्षसी जरा (अल्पसंख्यक टैगका वरदान मिला हुआ है.


हमारे साथ तो इतने कटेशर हैं... इतने देश हैंइतनी राजनीतिक पार्टियां हैं आदि आदिसाथ ही उनके मन में ये भ्रम भी  गया कि... मोई सरकार इन्हें प्रेशर कुकर के सीटी की मानती है जो "उनकेप्रेशर को कम करने का काम कर रही है.


श्रीकृष्ण भी मुस्कुराते हुए ऐसे प्रदर्शित करते रहे कि.... वे तो बहुत भोले हैं और वे सचमुच में ऐसा ही सोच रहे हैं जैसा जरासंध के मन मेंचल रहा है.


उल्टे वे भिकास और तृप्तिकरण का घोड़ा दौड़ाते रहे.


इधर भागवत से लेकर डोवाल और मोई जी कटेशर गुरुओं के साथ मिलते रहे और सबका DNA एक बता कर सबको खीर पूरी खिलानेकी बात करते रहे.


इससे जरासंध भी खुश एवं लापरवाह.... 


किहम अजेय हैं... औरहम जब जो चाहे कर सकते हैं.


लेकिनएक दिन सुबह सवेरे पूरे देश में फैले जरासंध के नेटवर्क के 100 ज्यादा हैंडलर पूरे सबूत और डॉक्यूमेंट के साथ धर दबोचे गए.


इसके बाद फिर... एक हफ्ते तक शांति... (शायद उसे फिर से संगठित होने का समय देने के लिए ).

इससे हुआ ये कि 2-3 दिन में जब जरासंध ने समझा कि अब हमला खत्म हो चुका है तो उसने अपने छुपाकर कर रखे हुए संसाधन औरलोगों को फिर से एकत्र किया..


औरअपनी ताकत का आकलन करने लगा कि अब हमारे पास क्या और कितना बचा है.


तभी ... फिर से दूसरा हमला हुआ एवं उसके दुबारा से एकत्र किए गए लोग एवं डॉक्यूमेंटस को जब्त कर लिया गया.


इस पूरी घटना में मजेदार बात यह रही कि.... जरासंध के नेटवर्क पूरे देश एवं विदेश में फैले होने के बावजूद भी कहीं से भी इसके विरोधमें चूं तक शब्द नहीं निकला और  ही कोई हंगामा हुआ.


क्योंकिये सब करने से पहले ही भागवत और डोवाल द्वारा उनके धर्मगुरुओं को समझा दिया गया था कि.... सेम DNA होने के कारणहम तो तुम लोगों को शुद्ध घी की पूरी और दम आलू की सब्जी खिलाना चाह रहे हैं...


लेकिनये  जरसंधवा... तुमलोगों को बदनाम कर रहा है जिसके कारण जनता हमारे पूरी सब्जी का विरोध कर रही हैइसीलिए... तुमको पूरी सब्जी खिलाने से पहले इस जरसंधवा को बांस करना जरूरी है.


अतःतुमलोग ध्यान रखना कि जब हम उसको बांस करें तो उसकी चिल्लाहट ज्यादा  गूंजे.


इस तरह उन दढियलों ने भी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए चिल्लाहट नहीं गूंजने दिया.

और , जरसंधवा को सलीके से बांस कर दिया गया.


खैर... लेटेस्ट अपडेट ये है कि जरासंधवा पर 5 साल तक के लिए बैन लगा दिया गया है..


ताकिउन जप्त किये डॉक्यूमेंट के आधार पर अब आराम से चुन चुन कर उनके स्लीपर सेल का दबोचा जा सके.


साथ ही.... अभी 5 साल में बहुत से यज्ञ होने हैं... इसीलिएधर्मरक्षक....  यज्ञ के रास्ते में आने वाले सभी संभावित रोड़े को पहले से हटाकर अपनी यज्ञ की सफलता सुनिश्चित कर लेना चाहते हैं.


पूरी कहानी का सार या है कि.... अब जरासंधवा को फाड़ कर फेंका जा चुका है और अब जरासंध महज एक इतिहास है.


औरमहाभारत के युद्ध में अब जरासंध के कौरवों के पक्ष से लड़ने की आशंका ही खत्म चुकी है.


जय महाकाल...!!!

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