समय की पुकार

 प्रसिद्ध अमेरिकन इतिहासकार विल डूरेंट ने 1935 में एक पुस्तक लिखी थी "स्टोरी ऑफ़ सिविलाइजेसन"।उन्होंने लिखा है कि - "भारत मानव जाति की मातृभूमि है तथा संस्कृत,भारत-यूरोपीयन भाषाओं की जननी है।वह हमारे दर्शन ,गणित,ईसाईयत में सन्निहित आदर्शों तथा लोकतंत्र की माता है।भारत की आने वाली पीढ़ियों को स्वयं को अपनी सांस्कृतिक विरासत को सम्भाल कर रखना होगा।क्योंकि जब इस धरती पर कोई संकट आएगा तब यह भारत ही विश्व को उन संकटों से निकलेगा।भारत ही भविष्य में विश्व का नेतृत्व करेगा।भारतमाता अनेक प्रकार से हम सब की माता है।........भारत हमें सहिष्णुता,पूर्ण विकसित सज्जनता,आत्मज्ञान तथा सम्पूर्ण मानवता के साथ एकरूप होने तथा शांतिदायक प्रेम का पाठ पढ़ाएगा।"

स्व के भाव को जागृत किए बिना यह भविष्यवाणी कैसे सत्य होगी?भौतिक ,शैक्षिक, राजनैतिक,आर्थिक,सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आदि क्षेत्रों में घुसे परकीय संकेतों को प्रत्येक स्तर पर हम सबको समाप्त करना होगा।तभी तो अपना देश वह शुद्ध-सात्विक भारत बनेगा जिसे इस विश्व का नेतृत्व करना है।यह संधिकाल है।इसमें प्रबल संघर्ष की स्थिति निर्माण हो रही है।बहुत सी समस्याओं के मोर्चे खड़े कर दिए जाएंगे।परंतु हम सब अपने निकटतम मोर्चे पर लड़ने और जीतने के लिए सदैव तत्पर रहें।

विश्व गुरु बनने का लक्ष्य तो पहले से ही हृदयंगम है।अब लक्ष्य पहले से अधिक स्पष्ट और निकट दिखाई देता है।पूर्ण सामर्थ्य एवम् निष्ठा से हम विजय की ओर बढ़ें।

यह एक सुअवसर है।और एक बात स्मरण रहे.......अभी नहीं तो कभी नहीं।

अपना भारत आज भारत से अधिक विश्व की आवश्यकता है।आइए विश्व कल्याण हेतु,विश्व के नेतृत्व हेतु सबल,सम्पन्न,सज्जन व संगठित बनें।

भारत माता की जय।🚩🛕🇮🇳👏🙏


क्या इस कथन को सत्य करने में हम अपना योगदान कर सकते हैं।आइए यथा शक्ति आज से प्रारम्भ करें।

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