राम की महिमा

 राम की महिमा अद्भुत है -

राम भक्त भी पगलाए रहते है और 

राम विद्रोही भी पागल हो जाते हैं -

त्याग और समर्पण है राम कथा में,

कांग्रेस ने भी कम “त्याग” नहीं किया -


एक आततायी बाबर ने 1527 में भव्य अलौकिक श्रीराम मंदिर को तोड़ कर अपनी इबादत के लिए एक मस्जिद बना दी और तब से सदियों से मंदिर के लिए संघर्ष होता रहा - यह हिन्दू मानस है जो कानून के सहारे अपना अधिकार वापस ले सका वरना इस्लामिक राज्य होता तो तलवार के जोर पर काम हो जाता पर ऐसा करना सनातन धर्म के DNA में है ही नहीं -


आज के हालात देख कर भी साबित होता है कि भगवान राम की महिमा अद्भुत है - एक तरफ जहां सब कुछ राममय हो रहा है और राम भक्त पागल से हुए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ भगवान राम को काल्पनिक कहने वाले राम द्रोही अलग तरह से पागल हो रहे हैं - माता शबरी जब राम की प्रतीक्षा में रोज अपने आंगन को पुष्पों से सजाती थी तब उसके आसपास के लोग कहते थे राम ने आना तो है नहीं, ये शबरी “पागल” हो गई है - तब कुछ लोग यह भी कहते थे कि भगवान के प्रेम में रम जाने को ही पागलपन कहते हैं -


दूसरी तरफ रावण और उसकी सेना भी भगवान राम के विरोध में पागलपन की स्थिति में ही थी और यही हाल आज कांग्रेस का है (कांग्रेस से मतलब कांग्रेस और समूचे विपक्ष से है) - जिन लोगों ने राम को काल्पनिक बताने में लज्जा नहीं आई और उनके विचार से राम रावण युद्ध हुआ ही नहीं, वे भी आज “पागल” हुए जा रहे हैं ये कहने के लिए कि राम तो सबके हैं लेकिन फिर भी जाएंगे नहीं - 


विरोधियों में पागलपन इसलिए है कि कैसे हिन्दू और मुस्लिम मानस दोनों को खुश रखें -इतना ही नहीं पाकिस्तान के साथ खड़ा रहने वाला फारूक अब्दुल्ला भी कह रहा है कि राम तो पूरे विश्व के हैं - उन्होंने तो हर धर्म को भाई चारा सिखाया था, उनके लिए कोई गरीब अमीर बड़ा छोटा नहीं था 


फ़ारूक़ मियां आप किस “भाई चारे” की बात कर रहे हो और भगवान राम के समय में कितने धर्मों की बात कर रहे हो जबकि वह काल केवल “सनातन धर्म” का युग था - आपने तो कश्मीर में हिंदुओं को भाई कह कर चारा बना कर हजम करा डाला जबकि भगवान राम ने तो हनुमान, सुग्रीव, विभीषण और न जाने कितनों को भाई कह कर गले लगाया परंतु किसी को “चारा” नहीं बनाया -


रामकथा तो त्याग और समर्पण की कथा है - हर किसी ने अपना अपना त्याग किया - पिता की आज्ञा मानने के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया; कैकई ने एक पुत्र भरत के लिए दूसरे पुत्र राम को त्याग दिया, सीता ने पति के लिए सुख वैभव त्याग दिया, लक्ष्मण ने भाई के लिए सब कुछ त्याग दिया और कहते हैं जहां एक तरफ 14 वर्ष लक्ष्मण नहीं सोए तो उनकी पत्नी उर्मिला ने भी 14 वर्ष तक नींद का त्याग किया; भरत ने भगवान राम के लिए राज्य का त्याग कर दिया; हनुमान जी की तो बात ही अलग है - और इतना ही नहीं कहीं यह भी बताया गया है कि कैकई को राम के विरुद्ध भड़काने वाली मंथरा भी राम के बनवास जाने पर 14 वर्ष तक आत्मग्लानि के कारण अपने कक्ष से बाहर नहीं निकली - उसे बाहर निकाला भगवान राम ने आकर और “माता” कह कर आदर किया - इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ है 


लेकिन याद रहे,  आज के युग में कांग्रेस ने भी कम त्याग नहीं किया - कांग्रेस तो एक आतताई और उसकी मस्जिद के लिए खून बहाने वालों के लिए भगवान राम को ही त्याग दिया, भगवान राम की सनातन संस्कृति को ही त्याग दिया दिया जिसे मिटाने के लिए कृतसंकल्प है कांग्रेस और उसके सहयोगी - कुछ ने तो राम के भक्तों को गोलियों से भून दिया था - यह त्याग भी कुछ कम नहीं हैं - इसलिए उनका पागल होना भी स्वाभाविक ही है और यह राम की महिमा ही  है - 


राम के त्रेता युग में राक्षस यज्ञ विध्वंस करने स्वयं आते थे लेकिन आज निमंत्रण मिलने पर भी आने को राजी नहीं हैं - यह राम की महिमा है

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