हवन - यज्ञ की समिधा
#हवन_यज्ञ
सनातन धर्म में हवन/यज्ञ सिर्फ धर्मिक कर्मकांड भर नहीं है बल्कि शारीरिक, मानसिक व पर्यावरण में शुद्धता लाने वाली अद्भुतचिकित्सीय प्रणाली है।
देखा जाए तो हवन के विस्तृत वैज्ञानिक पक्ष को कुछ शब्दों में लिख पाना संभव नही है। हवन में कई प्रकार की समिधा(लकड़ी)काप्रयोग होता है पर आम की लकड़ी के प्रयोग को सभी जानते हैं इस लकड़ी के घी के साथ जलने पर Formic aldehyde नाम कागैसीय तत्व बनाती है। जो खतरनाक जीवाणुओं और बैक्टीरिया के लिए एक प्राकृतिक disinfectant होकर पर्यावरण को शुद्ध करनेका काम करती है।
आपने अक्सर घर में हवन के समय नवग्रह की समिधा के बारे में सुना होगा, नौ प्रकार की लकड़ियों का एक पैकेट आता है जिसे घी मेंडुबो कर होम किया जाता है। या और क्यों है ये नव ग्रह की समिधा आज इस पर विचार करते हैं
अर्कः पलाशः खदिरः स्त्वपामाँर्गोथ पिप्पलः।
उदुम्बरः शमी दूर्वा कुशाश्च समिधासत्विमाः।।
1-:आक/मदार/मंदार
इसे सूर्य ग्रह की समिधा कहा गया है मंदार एक एन्टी-रूमेटिक, एन्टी-फंगल, डायफोरेटिक गुण वाला पौधा है व त्वचा रोगों के लिएउपयोगी है। कांटा लगने या फ़ांस लगने पर इसके दूध को लगा के कुछ देर रखने पर वह स्वतः बाहर आ जाता है।ये ब्रोन्कियल अस्थमामें भी लाभ देता है।
2-पलाश/ढाक/टेसू का संबंध चन्द्र ग्रह से है इस के फूलों को रात भर भिगो कर इसका पानी पीने से नकसीर(नाक से खून) लगभग 3 साल तक नही आता। शिशु जन्म के बाद देने वाले पौष्टिक भोजन(हरीरा) में कमरकस तत्व पलाश का गौंद होता है।ये diabetes/ सूजन/त्वचारोग/मूत्ररोग/ट्यूमर आदि में उपयोगी है।
3-खैर
ये रक्तशोधन, हृदयरोग,दांत व मुँह के रोग आदि में इसका प्रयोग होता है पान के साथ खाएं जाने वाला कत्था इसी से बनाया जाता है।मंगल का सम्बंध ज्योतिष में रक्त/तांबा/लाल रंग/रक्त चंदन/लाल मूँगा आदि सब जोड़ा जाता है हम अंदाज लगा सकते हैं कि क्यों खैरही मंगल की समिधा बना।
4-अपामार्ग/चिडचिडा/लटजीरा/वज्रदन्ति
इस पौधे का संबंध बुध ग्रह से है।इसकी जड़ का प्रयोग दांतों को चमक और मजबूती देता है इसलिए इसे वज्रदन्ति भी कहा जाता है।बुध ग्रह के समान ही इसके परिणाम भी तुरंत ही दिखते हैं। आदिवासी/ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव के समयकाल(normal delivery) केलिए होता रहा है। अगर कभी खेतों की पगडंडियों में चलने का मौका मिला हो तो जो जीरे जैसा कपड़ो में चिपक जाता है वही छोटा साझाड़ बहुत चमत्कारी है। ज्योतिष उपाय में भी इसके अनेकों प्रयोगों को यहां वर्णन करना संभव नही।
5-पीपल
ये गुरु ग्रह से संबंध रखता है इस पेड़ का शुद्ध पर्यावरण के लिए बहुत उपयोग है सनातन विज्ञान उस समय भी इस बात को जानता थाकि शुष्क स्थान पर पनपने वाला ये पेड़ दिन के समय अन्य पेड़ो कब समान प्रकाश संश्लेषण न करके, रात में विशेष क्रिया से मैलेट नामका रसायन बनाते हैं और सामान्य पेड़ से लगभग 30%ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और रात में भी कार्बन डाई ऑक्साइड का अवशोषणकरते हैं। ये हृदय रोग,दमा,दाह आदि रोगों में लाभ देता है।
6- औदुम्बर/गूलर/जंगली अंजीर
शुक्र ग्रह से सम्बन्ध होने के कारण ये शरीर के शुक्रतत्व से संबंधित समस्याओं के निदान में बहुत उपयोगी है ये बलवर्धक/पुष्टिकारक वदाह नाशक है।गूलर का उपयोग मांसपेशीय दर्द, मुंह के स्वस्थ्य में, फोड़े ठीक करने में , घाव को भरने के इलाज आदि में किया जाताहै।गूलर एंटी-डायबिटिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-अस्थमैटिक, एंटी-अल्सर, एंटी-डायरियल और एंटी-पायरेरिक गुण होते हैं।
7-शमी/खेजड़ी
ये शनि ग्रह से संबंधित उच्च रक्तचाप, वात व पित्त दोष,गठिया,नसों में दर्द और खिंचाव आदि में लाभ देता है। इसके पत्तियों का काढ़ाकृमि नाशक है।
8-दूर्वा/दूब
ये राहु की समिधा है इसका उपयोग रक्तशोधन, अनिद्रा, एनीमिया, मासिक धर्म में अत्यधिक रक्त श्राव आदि में होता है इसे हरा खून भीकहते हैं।इसका रस पीने से एनीमिया सही हो जाता है शीशम के पत्तों के साथ इसका रस शरीर मे बन ने वाली गठानों/गांठो/सिस्ट कोबनने से रोकता है।
9- कुशा
ये केतु ग्रह की समिधा है इसका प्रयोग किडनी स्टोन, मूत्र संबंधी रोगों में होता है।
इन सब औषधीय गुणों से भरपूर समिधाओं को उनके तत्व/ गुण के कारण विभिन्न ग्रहों से जोड़ा गया।यज्ञ इत्यादि में इन समिधाओं कोघी के साथ अन्य जड़ीबूटियाँ जोकि हवन सामग्री के रूप में प्रयोग होती है से वातावरण को चिकित्सीय प्रभाव से भरपूर रखता है। हवनमें प्रयुक्त इन सामग्री का धुआँ साँस के माध्यम से शरीर मे प्रवेश कर कई रोगों से आपकी रक्षा करता है।
बहुत उपयोगी जानकारी
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