हमारा संवत्

 हिंदू काल गणना एवं अन्य कैलेंडर -

हिंदू वर्ष - 197,29,49,125 वर्ष 

चीनी वर्ष - 9,60,02,321 वर्ष 

पारसी वर्ष - 1,89,991 वर्ष 

मिस्र वर्ष - 28,669 वर्ष 

तुर्की वर्ष - 7,631 वर्ष 

यहूदी वर्ष - 5,785 वर्ष 

यूनानी वर्ष - 3,596 वर्ष 

रोमन वर्ष - 2773 वर्ष 

ईसवी वर्ष - 2024 वर्ष 

इस्लामी वर्ष - 1441 वर्ष 

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , युगाब्द- 5126, विक्रमी संवत् 2081 वर्ष आज चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा को आरम्भ होता हैं जो कि प्राकृतिक है, वैज्ञानिक है और सबसे प्राचीन होने के साथ भारतीय प्राचीन गणित विद्या का गौरव है।


भारतीय प्राचीन काल गणना -

२ परमाणु = १ अणु

३अणु = १ त्रिसरेणु

३ त्रिसरेणु =१ त्रुटि (३ त्रिसरेणु को पार करने मे सूर्य को लगा समय १त्रुटि)

१०० त्रुटि = १ वेध

३ वेध = १ लव

३ लव = १ निमेष

३ निमेष = १ क्षण

५ क्षण = १ काष्ठा

१५ काष्ठा = १ लघु

१५ लघु = १ दण्ड

२ दण्ड = १ मुहुर्त

३ मुहूर्त = १ प्रहर

४ प्रहर = १ दिन

१ दिन रात = १ अहोरात्र

१५ अहोरात्र = १ पक्ष

२ पक्ष = १ मास

१२ मास = १ वर्ष

४३२०००  वर्ष = १ कलियुग

८६४००० वर्ष = १ द्वापर युग

१२९६००० वर्ष = १ त्रेता युग

१७२८००० वर्ष = १ सतयुग

४३२०००० वर्ष = १ चतुर्युगी

७१ चतुर्युगी = १ मन्वन्तर

१००० चतुर्युगियां = १४ मनवन्तर +६ चतुर्युगी = १ कल्प = १ ब्रह्मदिन = सृष्टिकाल = ४३२००००००० वर्ष


वर्तमान में सृष्टि का सातवें वैवस्वत मनवन्तर का २८ वें कलियुग का ५१२५ वां वर्ष आरम्भ होरहा है, अर्थात् सृष्टि का संवत् १९६०८५३१२५ वां आरम्भ हो रहा है।


सौर दिन = सूर्योदय से सूर्यास्त पर्यन्त

चान्द्र दिन = एक तिथि का भोग काल

सावन दिन = सूर्योदय से अग्रिम सूर्योदय पर्यन्त

नाक्षत्र दिन = किसी नक्षत्र के सापेक्ष पृथ्वी का एक भगण काल

सौर मास = सूर्य का एक राशि भोग काल ( सौर मास की प्रवृत्ति संक्रान्ति को होती है अर्थात् सौर मास का पहला दिन संक्रान्ति कहलाता है और अन्तिम दिन मासान्त कहलाता है।)

चान्द्र मास = प्रतिपदा से अमावस्या पर्यन्त ( शुक्लपक्ष + कृष्णपक्ष)

जिस मास में पूर्णिमा जिस नक्षत्र से संयुक्त होती है उसे पूर्णिमान्त मास कहते हैं।

चित्रा नक्षत्र               - चैत्र मास.        - मधु मास

विशाखा नक्षत्र.         - वैशाख मास.    - माधव मास

ज्येष्ठा नक्षत्र.             - जेष्ठ मास.       - शुक्र मास

आषाढा नक्षत्र           - आषाढ़ मास    - शुचि मास

श्रवणा नक्षत्र            - श्रावण मास     - नभ मास

भाद्रपद नक्षत्र           - भाद्रपद मास   - नभस्य मास

अश्विनी नक्षत्र           - आश्विन मास    - इष मास

कृतिका नक्षत्र          - कार्तिक मास    - उर्ज मास

मृगशिरा नक्षत्र         - मार्गशीर्ष मास   - सह मास

पुष्य नक्षत्र              - पौष मास         - सहस्य मास

मघा नक्षत्र              - माघ मास         - तप मास

फाल्गुनी नक्षत्र        - फाल्गुन मास    - तपस्य मास


कृपया ध्यान दें - ईशा संवत् जैसे विश्वभर में अनेक संवत् चल रहे हैं ।

जैसे - 

चीन संवत्, 

खताई संवत्, 

मिश्र संवत्, 

तुर्की संवत्, 

ईरानी संवत्, 

कृष्ण संवत्, 

कलि संवत्, 

इब्राहिम संवत्, 

मूसा संवत्, 

यूनानी संवत्, 

रोमन संवत्, 

बुद्ध संवत्, 

वर्मा संवत्, 

महावीर संवत्, 

मलयकेतु संवत्, 

शंकराचार्य संवत्, 

पारसी संवत्, 

विक्रम संवत्, 

ईशा संवत्, 

जावा संवत्, 

शक संवत्, 

कलचुरी संवत्, 

वल्लभ संवत्, 

बंगला संवत्, 

हर्ष संवत्, 

हिजरी ( मुस्लिम) संवत्, 


उपरोक्त अनेक संवत् प्रचलित हैं। लेकिन भारतीय, प्राकृतिक और वैज्ञानिक संवत् तो चैत्र की प्रतिपदा को आरम्भ होता है, सृष्टि संवत् और विक्रम संवत ही मनाने योग्य है। १ जनवरी को नया वर्ष मनाना गुलामी का प्रतीक हैं।

Comments

Popular posts from this blog

चाणक्य और मोदी

What is Accessnow.org?

Why Hindu temples r controlled by Government?