इतिहास का गलत लेखन क्यों
भारत के इतिहास और जीवन-भाग्य को निर्धारित करने वाले कालखण्ड के रूप में इतिहास के हर गम्भीर अध्येता को बहुत डूबकर ईस्वी 630 से लेकर 1200 ईस्वी के बीच के इतिहास को अनिवार्यतः पढ़ना चाहिए। इस अध्ययन के दौरान राजपूत काल के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रीय राजवंशों का विस्तृत अध्ययन करने के साथ साथ हमें अरब-तुर्क साम्राज्यवाद के उदय व इस्लाम धर्म के प्रसार को भी उतने ही विस्तार से पढ़ने की जरूरत है। भारत के उत्तर पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त पर अवस्थित समस्त भूभाग तथा 640 ईस्वी से लेकर 712 ईस्वी में सिंध पर अरबों के आक्रमण के समय तक इस्लाम का विश्व में प्रसार किये जाने की कोशिश को भी घटनावार जानने की जरूरत है। गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के हाथों राष्ट्र की लगभग 300 वर्ष तक रक्षा होती रही। नागभट्ट प्रथम, नागभट्ट द्वितीय, मिहिरभोज प्रभास, महेन्द्रपाल प्रथम व महीपाल के शासनकाल के दौरान ---- 730 ईस्वी से लेकर 948 ईस्वी तक भारत बर्बर हिंसक अरबों की आंधी से पूर्णतया सुरक्षित रहा। गुर्जर प्रतिहारों के अपरिमित पराक्रम के चलते ही कट्टर व धर्मांध इस्लाम सिन्धु व मुल्तान में आठवीं सदी में स्थापित होने...